ग्लोबल वॉर्मिंग – Global warming in hindi और ग्रीन हाउस प्रभाव
पृथ्वी सूर्य से तीसरा एकमात्र ग्रह जिसमें जीवन रूपों की विशाल विविधता है हमारे सौरमंडल के अन्य ग्रह या तो भयानक गर्म या अत्यधिक ठंडे है किंतु पृथ्वी में अपेक्षाकृत स्थिर वातावरण है.

ग्लोबल वार्मिंग का कारण ?
यह पृथ्वी का वायुमंडल है. एक हवा की पतली परत की तरह जो चारों ओर से पृथ्वी को घेरे हुए हैं. यह हवा अलग-अलग कई गैसों का मिश्रण है. जैसे एक छतरी हमे बारीश और तेज धूप से बचाती हैं वैसे ही हवा की परत पृथ्वी को सूर्य की हानिकारक विकिरण यानी कि रेडिएशन से बचाती हैं. लेकीन लगातार ये स्थिर तापमान समय के साथ बढ़ता जा रहा है. सागर गरम हो रहे हैं जलवायु में परिवर्तन हो रहा हैं. गलेशियर पिघल रहे हैं. ऐसा इसीलिए हो रहा हैं क्योंकि सूर्य से पृथ्वी पर लगातार हानिकारक विकीरण की बौछार हो रही हैं. जो हमें ऊष्मा और प्रकाश उर्जा के रुप में प्राप्त होती हैं. दृश्यमान अल्ट्रा वायलेट इन्फ्रारेड अवरक्त विकिरण को सतह पर पहुंचने से पहले पृथ्वी के वायुमंडल को पार करना पड़ता है पृथ्वी के वातावरण में मौजूद ओजोन परत इन हानिकारक किरणों को कुछ मात्रा में रोकती हैं. पृथ्वी की सतह पर पहुंचने वाली शेष किरणे कुछ मात्रा में पृथ्वी द्वारा अवशोषित होती हैं. विशेष रूप से अवरक्त किरणे अंतरिक्ष में परावर्तित हो जाती हैं. लेकिन वायु मंडल की कुछ गैसे इस ऊष्मा विकिरण को अवशोषित कर लेती हैं और सतह पर पुनः उत्सर्जन करता हैं जिससे पर्यावरण गरम हो जाता हैं. पृथ्वी को गरम करने वाली आने वाली और बाहर जाने वाली विकिरणों के आदान प्रदान को ग्रीन हाउस प्रभात के रूप में जाना जाता हैं और इन में मौजुद गैसों को ग्रीन हाउस गैसे कहते हैं. जिसमें विशेष रूप से कार्बन डाइऑक्साइड, मिथेन जलवाष्प कलोरो फ्लोरो कार्बन इत्यादि.
ग्लोबल वार्मिंग से बचाव के उपाय ?
अधिक संख्या में पेड़ लगाना चाहिए.
अपशिष्ट उत्पादन को कम करना उन उत्पादों के उपयोग को कम करना जो ग्रीन हाउस गैसों को उत्पन्न करते हैं.
ऊर्जा कुशल उपकरणों साधनों का उपयोग करना.
वाहनों के ईंधन दक्षता में वृद्धि.
अधिक नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग करना या कहो कि प्राकृतिक हरियाली तरीकों को अपनाएं जिससे हमारे पर्यावरण को कम नुकसान हो.