Akshay tritya ka mahattv pooja vidhi avam katha

Akshay tritya ka mahattv pooja vidhi avam katha

Akshay tritya ka mahattv pooja vidhi avam katha in hindi

इस वर्ष अक्षय तृतीया 14 मई को है और यह दिन बड़ा ही शुभ माना जाता है।

अक्षय तृतीया का दिन महत्वपूर्ण यानी कि शुभ क्यों है ? – Akshay trutiya ka mahattav

अक्षय तृतीया का दिन विष्णु भगवान को समर्पित होता है । हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार भगवान श्री विष्णु जी ने अक्षय तृतीया के दिन ही परशुराम के रूप में जन्म लिया था । अक्षय तृतीया के दिन परशुराम जन्म दिवस भी मनाया जाता है । आज ही के दिन सबसे पावन गंगा धरती पर स्वर्ग से आई थी । एक मान्यता यह भी है कि आज ही के दिन महर्षि वेदव्यास ने महाभारत लिखना शुरू किया था । एक रोचक मान्यता यह भी है कि जब भगवान श्री कृष्ण ने धरती पर जन्म लिया था तब अक्षय तृतीया के दिन ही उनके मित्र सुदामा उनसे मिलने के लिए गए थे और वह अपने मित्र कृष्ण के लिए चार चावल के दाने लेकर गए थे भगवान श्री कृष्ण अपने मित्र सुदामा की दशा को समझ गए क्योंकि वह अंतर्यामी है । उन्होंने अपने मित्र सुदामा को खूब धन दिया उनकी झोपड़ी को महल में बदल दी और उन्हें सारी सुख सुविधाएं दी तब से अक्षय तृतीया पर दान देने का महत्व और भी बढ़ गया है ।

अक्षय तृतीया का दिन बहुत ही शुभ है इस दिन पंचांग देखने की जरूरत नहीं होती इस दिन कोई भी शुभ काम कर सकते हैं। वाहन खरीद सकते हैं, शादियां भी होती है, और मकान का मुहूर्त भी कर सकते हैं । अक्षय तृतीया के दिन भगवान श्री विष्णु की पूजा की जाती है ।

Akshay tritya ka mahattv pooja vidhi avam katha

आज के दिन विष्णु भगवान की पूजा होती हैं । पूजा कैसे करेंगे ? – Akshay trutiya kee Pooja vidhi

भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी जी मूर्ति अथवा तस्वीर रखेंगे । एक पानी का मटका, अगर भगवान विष्णु जी और मां लक्ष्मी जी की फोटो नहीं है तो इस मटके को ही साक्षात विष्णु का रूप मानकर उनकी पूजा करेंगे । मटके में पानी भर के रखेंगे और फूल, मौली, रोली, चावल चूंकि वैशाख का महीना गर्मी का होता हैं इसीलिए इसमें ठंडी चीजों का ही दान दिया जाता है। दूध, दही का दान दे सकते हैं । टमाटर, ककड़ी, खीरा, सत्तू, जौ जो इत्यादि का दान देना बहुत ही अच्छा होता है ।

पानी के मटके का भी दान दे सकते हैं । चावल भी पूजा में जरूर रखें ।

सबसे पहले हम हाथ जोड़कर पूजा में गणपति जी को प्रणाम करेंग ।

तीन बार सबसे पहले हम बोलेंगे ओम गन गणपतए नमः

जल से भरे मटके के मुख पर हम मौली बांधेगे और स्वास्तिक बनायेगे । फीर श्री विष्णु जी को टीका लगाएंगे और मां लक्ष्मी को भी टीका लगाएंगे । फूल भी चढ़ाएंगे और मटके पर भी फूल चढ़ाएंगे और थोड़े थोड़े चावल लेकर हमें ओम नमो नारायणाय नमः का उच्चारण करते हुए मटके पर भी चावल चढ़ाएंगे फिर हम धूप जलाएंगे, दीप जलाएंगे और मंत्रों का उच्चारण करेंग ।

ॐ विष्णवे नमः अथवा ओम नमो नारायणाय नमः भी बोल सकते हैं ।

अक्षय तृतीया के दिन विष्णु जी और लक्ष्मी जी को खिचड़ी और इमली के पन्ने का भोग लगता है। सारा सामान पूजा में जो रखा है जैसे चावल, दही, दूध, खीरा, ककड़ी, टमाटर इत्यादि सभी दान मंदिर में दे दे या आप यह किसी जरूरतमंद को भी दे सकते हैं ।

अक्षय तृतीया की कथा – Akshay tritya kee katha

बहुत पुरानी बात है धर्मदास अपने परिवार के साथ एक छोटे से गांव में रहता था । वह बहुत ही गरीब था । वह हमेशा अपने परिवार के लिए चिंतित रहता था । उसके परिवार में कई सदस्य थे ।

धर्मदास बहुत धार्मिक प्रवृत्ति का व्यक्ति था एक बार उसने अक्षय तृतीया का व्रत करने का सोचा अक्षय तृतीया के दिन सुबह जल्दी उठकर उसने गंगा में स्नान किया फिर विधि पूर्वक भगवान विष्णु की पूजा अर्चना एवं आरती की इस दिन अपने सामर्थ्य अनुसार जल से भरे घड़े जौ सत्तू चावल नमक गेहूं गुड़ घी दही सोना तथा वस्त्र आदि वस्तुएं भगवान के चरणों में रखकर ब्राह्मणों को अर्पित की ।

यह सब दान देकर धर्मदास के परिवार वाले तथा उसकी पत्नी ने उसे रोकने की कोशिश की उन्होंने कहा कि अगर धर्मदास इतना सब कुछ दान में दे देगा तो उसके परिवार का पालन पोषण नही होगा फिर भी धर्मदास अपने दान और पुण्य कर्म से विचलित नहीं हुआ और उसने ब्राह्मणों को कई प्रकार का दान दिया उसके जीवन में जब भी अक्षय तृतीया का दिन आया प्रत्येक बार धर्मदास ने विधि से इस दिन पूजा एवं दान आदि कर्म किया बुढ़ापे का रोग परिवार की परेशानी भी उसे उसके व्रत से विचलित नहीं कर पाई।

इस जन्म के पुण्य प्रभाव से धर्मदास ने अगले जन्म में राजा कुशावती के रूप में जन्म लिया कुशावती राजा बहुत ही प्रतापी थे । उनके राज्य में सभी प्रकार का सुख धन सोना, हीरे, जवाहरात संपत्ति की किसी भी प्रकार से कमी नहीं थी उनके राज्य में प्रजा बहुत सुखी थी । अक्षय तृतीय के पुण्य प्रभाव से राजा को वैभव यश की प्राप्ति हुई लेकिन वे कभी लालच के वश नहीं हुए एवं अपने सत्कर्म के मार्ग से विचलित नहीं हुए उन्हें उनके अक्षय तृतीया का पुण्य सदा मिलता रहा जैसे भगवान ने धर्मदास पर अपनी कृपा की वैसे ही जो भी व्यक्ति इस अक्षय तृतीया की कथा का महत्व सुनता और विधि विधान से पूजा एवं दान आदि करता अक्षय पुण्य एवं यश की प्राप्ति होती है ।

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