Rudraaksh ka arth -रुद्राक्ष का अर्थ

rudraaksh ka arth

रुद्राक्ष का अर्थ (Rudraaksh ka arth)

रुद्राक्ष एक पेड़ के फल का बीज है। रुद्राक्ष का औषधीय एवं आध्यात्मिक महत्व भी है। इसके प्रयोग से जीवन में विशेष फलों की प्राप्ति होती है। ऐसा कहा जाता हैं कि रुद्राक्ष अकाल मृत्यु और शत्रु बाधाओं से रक्षा करता है। मुख्यता चौदह मुखी रुद्राक्ष होते हैं। इन चौदह रुद्राक्षों के अलावा गौरी शंकर और गणेश रुद्राक्ष भी पाए जाते हैं।

रुद्राक्ष पहनने की सावधानियां (रुद्राक्ष क्या करें और क्या न करें) Rudraaksh kya karen aur kya na karen

रुद्राक्ष को लाल धागे या पीले धागे में धारण करें। इसके साथ ही रुद्राक्ष को पूर्णिमा, अमावस्या या सोमवार के दिन धारण करना सर्वोत्तम माना जाता है। इस सावन माह में किसी भी दिन रुद्राक्ष धारण किया जा सकता है क्योंकि सावन का हर दिन शुभ माना जाता है। रुद्राक्ष का प्रयोग 1, 27, 54 और 108 नंबर पर करना चाहिए। रुद्राक्ष धारण करने के बाद सात्विकता का पालन करना चाहिए। रुद्राक्ष को धातु के साथ धारण करना और भी अच्छा है। किसी दूसरे की पहनी हुई रुद्राक्ष की माला न पहनें। साथ ही सोते समय रुद्राक्ष को उतार देना चाहिए। कौन सा रुद्राक्ष आपको अमीर बना देगा

(रुद्राक्ष के प्रकार) (Rudraaksh ke prakaar)

  1. एक मुखी रुद्राक्ष

इसे शिव का स्वरूप माना जाता है। सिंह राशि के लोगों के लिए मुखी शुभ मानी जाती है। यदि कुंडली में सूर्य संबंधी समस्या हो तो मुखी रुद्राक्ष धारण करें।

2. दो मुखी रुद्राक्ष

इन्हें देवताओं का रूप माना जाता है। कर्क राशि के जातकों के लिए यह शुभ माना जाता है। यदि दाम्पत्य जीवन में समस्या हो तो दो मुखी रुद्राक्ष धारण करें।

3. तीन मुखी रुद्राक्ष

ये रुद्राक्ष अग्नि और प्रकाश स्वरूप हैं। यह रुद्राक्ष मेष और वृश्चिक राशि के जातकों के लिए सर्वोत्तम परिणाम देता है। यह रुद्राक्ष मंगल दोष निवारण के लिए धारण किया जाता है।

4. चार मुखी रुद्राक्ष

इन रुद्राक्षों को ब्रह्मा का स्वरूप माना जाता है। मिथुन और कन्या राशि के लिए यह सर्वोत्तम रुद्राक्ष है। यह त्वचा रोगों और वाणी समस्याओं में उपयोगी है।

5. पांच मुखी रुद्राक्ष

कैलग्नि भी कहा जाता है। इस मंत्र के प्रयोग से आपको अद्भुत शक्ति और ज्ञान की प्राप्ति होती है। जिनकी राशि धनु या मीन है या जिनकी शिक्षा में बाधा आ रही ह

  1. छह मुखी रुद्राक्ष

इन्हें भगवान कार्तिकेय का ही एक रूप माना जाता है। यदि कुंडली में शुक्र कमजोर हो या तुला या वृषभ राशि हो तो छह मुखी रुद्राक्ष धारण करें।

  1. सात मुखी रुद्राक्ष

इसे सप्तमातृका और सप्तऋषियों का स्वरूप माना जाता है। इसे कठिन परिस्थितियों और कठिन परिस्थितियों में पहनें। यदि मृत्यु या मृत्यु जैसा खतरा हो तो मकर और कुंभ राशि के जातकों को सात मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।

  1. रुद्राक्ष (Rudraaksh) के आठ मुख होते हैं

वह आठ देवियों में से एक हैं। समानता आठ की पूर्णता लाती है। इस धारा से उन लोगों को अचानक धन मिलना आसान हो जाता है जिनकी कुंडली में राहु से संबंधित समस्या है। इन्हें आठ मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।

9. ग्यारह मुखी रुद्राक्ष

ग्यारह मुखी रुद्राक्ष को स्वयं शिव का स्वरूप माना जाता है। संतान और प्रसव संबंधी समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए इस रुद्राक्ष को धारण करना जरूरी है।

विशेष लाभ के लिए रुद्राक्ष (vishesh laabh ke lie rudraaksh)

पहली शादी के लिए दो मुखी रुद्राक्ष या गौरी शंकर रुद्राक्ष पहनें।

शिक्षा और एकाग्रता के लिए पांच मुखी रुद्राक्ष धारण करें।

स्वास्थ्य और दीर्घायु के लिए एक मुखी या ग्यारह मुखी रुद्राक्ष पहनें।

कार्यों में बाधाओं से बचने के लिए तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करें।

व्यसन दूर करने के लिए पांच मुखी रुद्राक्ष धारण करें। भक्ति के लिए ग्यारह मुखी रुद्राक्ष धारण करें।

रुद्राक्ष को साफ करके तिलक लगाने से उसकी चमक और सुंदरता बढ़ती है। पैरों के तलवों और माथे पर रुद्राक्ष की लेप लगाना चाहिए|

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