Holika Dahan ki Katha

Holika Dahan ki Katha

इस वर्ष होली (Holika Dahan ki Katha ) का त्योहार फागुन मास की पूर्णिमा तिथि यानी 28 मार्च 2021 को मनाया जाएगा होलिका दहन का शुभ मुहूर्त होगा 6:00 बज 6:37 से 8:56 तक.

Holika Dahan ki Katha

होलिका दहन की प्रचलित कथा के अनुसार प्राचीन काल में हिरण्यकश्यप नाम का अत्याचारी राक्षस राज ने तपस्या कर ब्रह्मा जी से एक वरदान प्राप्त कर लिया कि संसार का कोई भी जीव जन्तु पशु पक्षी मानव अथवा देवता राक्षस उसे मार ना सके ना वो रात में मरे ना दिन में ना पृथ्वी ना ही आकाश में ना घर में अंदर और ना ही घर के बाहर यहां तक कि कोई शस्त्र भी उसे मार ना पाए ऐसा वरदान पाकर खुद को ईश्वर मानने लगा और वह चाहता था कि हर कोई भगवान विष्णु की तरह उसकी पूजा-अर्चना करें वही अपने पिता के आदेश के विरुद्ध हिरण्यकश्यप के पुत्र प्रहलाद उसकी पूजा करने से इनकार कर दिया वह भगवान विष्णु का परम भक्त था और वह भगवान विष्णु की ही पूजा-अर्चना करता रहता था.

प्रहलाद पर भगवान विष्णु की असीम कृपा थी प्रहलाद को विष्णु जी की आराधना करता देख हिरण हिरण्यकश्यप नाराज होकर प्रहलाद को बहुत सजाएं दी. प्रहलाद के ना मानने पर हिरण हिरण्यकश्यप उसे मारने पर उतारू हो गया उसने 8 दिनों तक प्रहलाद को बंदी बनाकर रखा आठवें दिन हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को बुलवाया जिसे वरदान स्वरुप एक ऐसा वस्तु प्राप्त था जिसकी वजह से अग्नि उसे कभी नहीं जला सकेगी. होलिका के साथ मिलकर हिरण्यकश्यप ने योजना बनाई थी वह प्रहलाद को लेकर अग्नि में बैठेगी. जैसे होलिका प्रहलाद को लेकर अग्नि में बैठी वैसे ही भगवान विष्णु की कृपा से होलिका का वह कपड़ा प्रहलाद के ऊपर चला गया और प्रहलाद उस अग्नि से बच गया. वहीं होलिका आग में जलकर राख हो गई और उसकी मृत्यु हो गई तभी से बुराई पर अच्छाई का प्रतीक होली का त्यौहार मनाए जाने लगा.

इसके बाद फिर हिरण्यकश्यप को मारने के लिए भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार किया वह खंबे से गोधूलि बेला में प्रकट हुए और दरवाजे की चौखट पर बैठकर अत्याचारी राक्षस हिरण्यकश्यप को अपने नाखूनों से उन्होंने मार दिया तभी से आठ दिनों को होलाष्टक के रूप में मनाया जाने लगा इन दिनों कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते.

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