krishna janmashtami 2020 mein kab hai puja ka shubh muhurat evam puja vidhi
जन्माष्टमी का त्योहार श्री कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है प्राचीन कथाओं के अनुसार श्री कृष्ण जी का जन्म मथुरा नगरी में भाद्रपद कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि के दिन कंश के कारागृह में देवकी की आठवीं संतान के रूप में हुआ था इस दिन भगवान Lord krishna की कृपा प्राप्त करने के लिए भक्त उपवास रखकर उनकी पूजा-अर्चना करते हैं.
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साल 2020 जन्माष्टमी पर्व की शुभ दिन पूजा का शुभ मुहूर्त पूजा विधि और इसके महत्व.
जन्माष्टमी तिथि व शुभ मुहूर्त 2020
साल 2020 में जन्माष्टमी का पर्व 11 अगस्त मंगलवार के दिन मनाया जाएगा जन्माष्टमी पूजा का समय होगा 12 अगस्त सुबह 12:10 से लेकर 12:54 तक पूजा की कुल अवधि 44 मिनट की होगी अष्टमी तिथि आरंभ होगी 11 अगस्त मंगलवार प्रातः काल 9:00 बज के 6:00 मिनट पर वही अष्टमी तिथि समाप्त होगी 12 अगस्त बुधवार प्रातः काल 11:15 पर व्रत के पारण का समय होगा 12 अगस्त बुधवार सुबह 11:15 के बाद.
Shri Krishna जन्माष्टमी मुहूर्त की मान्यताएं:
शास्त्रों के अनुसार यदि अष्टमी तिथि पहले ही दिन आधी रात को विद्यमान हो तो जन्माष्टमी व्रत पहले ही दिन किया जाता है यदि अष्टमी तिथि केवल दूसरे ही दिन आधी रात को व्याप्त हो तो जन्माष्टमी व्रत दूसरे दिन किया जाता है यदि अष्टमी तिथि दोनों दिन आधी रात को विद्यमान हो और दोनों ही दिन आधी रात में रोहिणी नक्षत्र व्याप्त रहे तो जन्माष्टमी व्रत दूसरे दिन रखा जाता है.
जन्माष्टमी व्रत पूजन विधि:
जन्माष्टमी के व्रत में अष्टमी तिथि के दिन उपवास से पूजन शुरू होकर नवमी तिथि के दिन पारण होने तक व्रत पूर्ण माना जाता है व्रती को एक दिन पूर्व सप्तमी तिथि को सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए अगले दिन प्रात काल स्नानादि से निवृत्त होकर सभी देवी देवताओं को प्रणाम कर व्रत का संकल्प लेकर देवकी जी के लिए प्रसूति गृह बनाएं और वहां पर शुभ कलश स्थापित कर दें साथ ही वहां भगवान श्री कृष्ण जी के बाल स्वरुप की प्रतिमा स्थापित कर ले और उन्हें झूला झूला श्री कृष्ण पूजन के साथ ही देवकी, वसुदेव, बलदेव, नंद, यशोदा और लक्ष्मी जी इन सभी का विधिवत पूजन करना चाहिए प्राचीन मान्यताओं के अनुसार जन्माष्टमी का व्रत रात्रि 12:00 बजे के बाद खोला जाता है.
श्री कृष्ण जन्माष्टमी व्रत के नियम :
जन्माष्टमी उपवास के दौरान कुछ विशेष नियम बताए गए हैं जिनका पालन व्रती को अवश्य करना चाहिए जन्माष्टमी के व्रत के दौरान अन्न ग्रह्ण न करके फलाहार करना चाहिए जन्माष्टमी का व्रत अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण करने के बाद ही खोलना चाहिए जन्माष्टमी का पारण सूर्योदय के पश्चात अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र के समाप्त होने के बाद ही करना शुभ माना जाता है. श्री कृष्ण जन्माष्टमी व्रत का महत्व: शास्त्रो में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव का विशेष महत्व बताया गया है इस दिन सभी मंदिरों को खासतौर पर सुंदर झांकियों के साथ सजाया जाता है श्री कृष्णा अवतार के उपलक्ष में मंदिरों का आकर्षक श्रृंगार किया जाता है भगवान श्री कृष्ण के बाल स्वरूप का सिंगार कर उन्हें झूला झुलाए जाता है कहा जाता है कि इस दिन व्रत रखने और श्री कृष्ण जी की पूजा करने से संतान प्राप्ति दीर्घायु तथा सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है साथ ही हर मनोकामना पूरी की जा सकती है इसके अलावा जिन लोगों का चंद्रमा कमजोर होता है वे लोग भी इस विशेष पूजा पाठ करके लाभ प्राप्त कर सकते हैं.
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