Ram janmabhoomi ayodhya mandir
तीर्थ नगरी अयोध्या में मस्जिद बनाम मंदिर का वर्तमान मुकदमा 70 साल पुराना हो चुका है या यह मुकदमा लगभग उतना पुराना है जितना पुराना भारत का संविधान. मुसलमानो का कहना या मानना हैं कि यहां 500 साल से मस्जिद थी इसलिए उस पर समझौता नहीं हो सकता उधर हिंदू समुदाय की आस्था है कि यह भगवान राम की जन्मभूमि है. कोर्ट की रोक के बावजूद सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के समर्थकों ने 6 दिसंबर 1992 को दिनदहाड़े बाबरी मस्जिद ढहा दी थी. नारा लगा था “एक धक्का और दो बाबरी मस्जिद तोड़ दो”
![]() |
Image Source – Google by Indiamart.com |
बाबरी मस्जिद बनाम Shri Ram जन्मभूमि का मूल विवाद सदियों पुराना है. मस्जिद पर लगे शिलालेख और सरकारी दस्तावेजों के मुताबिक बाबर के आदेश पर उसके गवर्नर मीर बाकी ने यह मस्जिद बनवाई थी मस्जिद बन जाने के बावजूद हिंदू समुदाय इस जगह को राम जन्म स्थान मानते हुए पूजा और परिक्रमा करता था. मुसलमान इसका विरोध करते थे जिससे झगड़े फसाद होते रहते थे माना जाता है कि मुगल काल में ही हिंदुओं ने मस्जिद के बाहरी हिस्से पर कब्जा करके चबूतरा बना लिया था और भजन -कीर्तन इत्शुयादि रू कर दी थी. शांति व्यवस्था कायम करने के लिए चबूतरे और मस्जिद के बीच दीवार बनाकर अलग कर दिया था पर मुख्य द्वार एक ही था .
अप्रैल 1883 में निर्मोही अखाड़ा ने डिप्टी कमिश्नर फैजाबाद को दरखास्त देकर मंदिर बनाने की अनुमति मांगी मगर मुस्लिम समुदाय की आपत्ति पर दरखास्त नामंजूर हो गई इसके बाद 29 जनवरी 1985 को निर्मोही अखाड़े के महंत रघुवर दास ने चबूतरे को राम जन्म स्थान बताते हुए मुकदमा दायर कर मंदिर बनाने की इजाजत मांगी. मुस्लिम पक्ष में चबूतरा पर मंदिर बनाने की दरखास्त का विरोध किया “जज ने मंदिर बनाने की अनुमति देने से इंकार कर दिया”.
डिस्टिक सेसन की कोर्ट में अपील दाखिल हुई डिस्टिक जज ने कहा हिंदुओं द्वारा पवित्र माने जाने वाली जगह पर मस्जिद बनाना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है लेकिन क्योंकि यह घटना 356 साल पहले की है इसलिए अब इस शिकायत का समाधान करने के लिए बहुत देर हो गई है डिस्ट्रिक्ट जज के शब्द निर्मोही अखाड़ा ने इसके बाद अवध के जुडिशल कमिशन की अदालत में दूसरी अपील दायर की थी सर कमिश्नर यांग ने 1 नवंबर 1986 को जजमेंट में लिखा कि अत्याचारी बाबर ने साडे 300 साल पहले जानबूझकर ऐसे पवित्र स्थान पर मस्जिद बनाई जिसे हिंदू Shree Ram Chandra का जन्म स्थान मानते हैं लेकिन जजमेंट में यह भी कह दिया गया कि रिकॉर्ड में ऐसा कुछ नहीं है जिससे जमीन पर हिंदू पक्ष का किसी तरह का स्वामित्व अधिक है इस तरह ब्रिटिश काल में अदालतों ने चबूतरे पर मंदिर बनाने की कोशिश नाकाम कर दी भारत को आजादी मिलने के बाद देश में नई राजनीति शुरू हुई .
साधुओं ने जुलाई 1949 में उत्तर प्रदेश सरकार को पत्र लिखकर फिर से मंदिर निर्माण की अनुमति मांगी सिटी मजिस्ट्रेट ने सिफारिश की है कि यह नजूल की जमीन है और मंदिर निर्माण की अनुमति दी जा सकती है अयोध्या के हिंदू भाइयों ने अगले महीने 24 नवंबर 1949 से मस्जिद के सामने कब्रिस्तान को साफ करके वहां यज्ञ और रामायण पाठ शुरू कर दिया जिसमें काफी भीड़ जुटी. उधर प्रशासन ने वहां एक पुलिस चौकी स्थापित करके सुरक्षा में अर्धसैनिक बल पीएसई लगा दी पुलिस और पीएसी तैनात होने के बावजूद 22 दिसंबर 1949 की रात निर्वाणी अखाड़ा के साधु अभय रामदास और उनके साथियों ने दीवार फांद कर राम जानकी और लक्ष्मण की मूर्तियां मस्जिद के अंदर रख दी इन लोगों ने प्रचार किया कि चमत्कार से भगवान राम ने वहां प्रकट होकर अपने जन्म स्थान पर वापस कब्जा प्राप्त कर लिया है कहा जाता है कि अभय राम की इस योजना को गुप्त रूप से फैजाबाद के कलेक्टर के के नायर का आशीर्वाद प्राप्त था. पुलिस ने अयोध्या कोतवाली में एक मुकदमा कायम किया जिसमें कहा गया कि 5060 लोगों ने दीवार फांद कर मस्जिद का ताला तोड़ा मूर्तियां रखी और जगह-जगह देवी-देवताओं के चित्र बना दिए f.i.r. में यह भी कहा गया कि इस तरह मस्जिद को नापाक किया अपवित्र कर दिया गया उधर दिल्ली में नाराज प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 26 दिसंबर को मुख्यमंत्री पंत को तार भेजकर कहा कि मस्जिद में मूर्तियां रखकर एक खतरनाक काम किया है जिसके परिणाम बुरे होंगे उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव भगवान सहाय ने कमिश्नर फैजाबाद को लखनऊ बुलाकर डांट लगाई है और पूछा कि प्रशासन ने इस घटना को क्यों नहीं रोका और फिर सुबह मूर्तियां क्यों नहीं हटाई गई जिला मजिस्ट्रेट नायक ने बागी तेवर में लिखा कि वह और जिला पुलिस कप्तान मूर्ति हटाने से बिल्कुल सहमत नहीं है और अगर सरकार किसी कीमत पर ऐसा करना ही चाहती है तो पहले हमें यहां से हटाकर दूसरा स्तर तैनात कर दे बाद में खुलासा हुआ कि जिला कलेक्टर नायर और सिटी मजिस्ट्रेट गुरुदत्त सिंह दोनों आर एस एस के मेंबर थे. कलेक्टर नायर कुछ साल बाद जन संघ में शामिल होकर राम मंदिर समर्थक होने के नाम पर समीप के कैसरगंज लोकसभा क्षेत्र से चुनाव जीते कब्जे को पुख्ता शक्ल देने के लिए अतिरिक्त सिटी मजिस्ट्रेट मारकंडेय सिंह ने शांति भंग की आशंका में मस्जिद को दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 145 के तहत कुर्क कर लिया इसके बाद मुकदमों का लंबा करवा शुरू होता है जो अभी तक चल रहा है.
Conclusion: एक लम्बी कानुनी लडायी के पश्चात भारत की सुप्रीम कोर्ट ने 05 अगस्त 2019 को फैसला सुनाते हुए कहा कि सभी सबुत हिंदु धर्म के पछ मे है अत: इस पर सम्पुर्ण हक हिंदुओ का है. केंद्र सरकार को निर्देश देते हुये आगे कहा कि मंदिर बनाने के लिये केन्द्र ट्रस्ट का निर्माण करे और मंदिर बनाये. केंद्र सरकार ने कोर्ट के दिशा निर्देशो का पालन करते हुये 15 सदसीय ट्रस्ट निर्माण किया जिसका नाम राम जन्म भूमि तिर्थ छेत्र रखा. इसी ट्रस्ट को मंदिर बनाने का सम्पुर्ण अधिकार है ये ट्रस्ट ही इसकी देख रेख और समस्त रख -रखाव करेगा.
मंदिर निर्माण के भूमि पुजन का शुभ मुहुर्त अभिजीत मुहुरत मे 05 अगसत 2020 रखा गया है जिसका सम्पुर्ण विधि विधान से पुजा करके देश के प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी मंदिर की आधार शिला रखेगे. जिस पर मंदिर का निर्माण होगा. निर्माण की कुल अवधी साढ़े तीन वर्ष रखी गयी है.