सनातन धर्म में माथे पर तिलक लगाना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. यह ललाट पर लगाया जाने वाला एक छोटा-सा चिह्न मात्र होता है, जो कि पूजा अथवा अन्य धार्मिक अवसरों पर लगाया जाता है
तिलक लगाने के नियम
बिना नहायें तिलक न लगाएं। सबसे पहले अपने इष्ट देव या भगवान को तिलक लगाएं और फिर खुद को तिलक लगाएं।
स्वयं को अनामिका और दूसरे को अंगूठे से तिलक लगाएं।
तिलक लगाने के फायदे (लाभ) :-
चंदन का तिलक लगाने से संकेंद्रण बढ़ती है।
रोली का तिलक और कुमकुम लगाने से स्वास्थ्य बढ़ता है और आलस्य दूर होता है।
केसर का तिलक लगाने से मान सम्मान बढ़ते हैं और कार्य बन जाता है
गोरोचन का तिलक लगाने से विजय प्राप्त होती है।
गंधाष्टक (आठ गंधद्रव्यों के मिलाने से बना हुआ एक संयुक्त गंध है) का तिलक लगाने से विद्या और बुद्धि की प्राप्ति होती है।
ग्रहो की मजबूती के लिए कौन सा तिलक लगाये :-
सूर्य- अनामिका उंगली पर लाल चंदन का तिलक लगाएं।
चंद्रमा- कनिष्ठा उंगली पर सफेद चंदन का तिलक लगाएं।
मंगल- अनामिका उंगली पर सिन्दूर नारंगी का तिलक लगाएं।
बुध- कनिष्ठा उंगली पर अष्टगंध का तिलक लगाएं।
बृहस्पति- तर्जनी पर केसर का तिलक लगाएं।
रुचि के लिए तिलक कैसे बनायें ?
रोली को तांबे के बर्तन में रख लें। इसमें थोड़ा सा गुलाब जल मिलाएं। इसका लेप बनाकर सबसे पहले श्री कृष्ण को तिलक लगाएं। फिर स्वयं को तिलक लगाएं। इस तिलक को लगाते समय मांस या शराब का सेवन न करें।
विजय और शक्ति के लिए कैसे बनाएं तिलक?
लाल चन्दन को रगड़ ले. इसे चांदी के अथवा कांच के बर्तन में रखे।
इसे 27 बार “ॐ दुम दुर्गाय नमः” मंत्र का जाप करते हुए देवी के सामने रखें। अब इस चंदन को देवी के चरणों पर लगाएं. इसके बाद माथे और भुजाओं पर चंदन लगाएं।