Tryambakeshvar jyotirling Mandir nashik

tryambakeshvar jyotirling mandir nashik

Tryambakeshvar jyotirling Mandir nashik in hindi

त्र्यामकेश्वर ज्योतिर्लिंग भगवान शिव का ये ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थित है शिव पुराण की कोठी रूद्र संहिता में वर्णित कथा के अनुसार पौराणिक काल में गौतम नाम के एक ऋषि हुआ करते थे जिनकी पत्नी का नाम अहिल्या था एक समय ऋषि गौतम के आश्रम क्षेत्र में 100 वर्षों तक बड़ा भयानक अकाल पड़ा.

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जिसकी वजह से वहां के निवासी महान दुख में पड़ गए यह देखकर ऋषि मुनि मनुष्य पशु पक्षी वहां से दूसरी जगह जाने लगे व्याकुल होकर गौतम ऋषि जी तपस्या करने लगे फिर 6 महीने बाद गौतम की तपस्या से प्रसन्न होकर उनके सामने वरुण देव प्रकट हुए और उनसे वर मांगने को कहा वरुण को प्रणाम करते हुए कहा यहां कई वर्षो से वर्षा नहीं हुई है जिसकी वजह से यहां के निवासी जल के लिए तड़प रहे हैं कृपया कर यहां जल की वर्षा कीजिए वरुण देव ने कहा कि मै देवताओं के विरुद्ध जल तो नहीं वर्षा सकता किन्तु तुम्हें अक्षय रहने वाला जल दे सकता हूं उनके ऐसा कहने पर गौतम ऋषि ने एक हाथ कुआ खोदा जिसमे वरुण ने उसमें जल भर दिया और वरुण देव अंतर्धान हो गए उसके बाद ऋषि गौतम वहां के स्थान पर जौ पुष्प गेहूं आदिके बीज बो दिए कुछ समय बाद वहां अनेक प्रकार के फल फूल खिल गए थे जिसके पश्चात् ऋषि मुनि यहां आकर रहने लगे देखते ही देखते वह छेत्र बड़ा सुंदर हो गया फिर वहां के लोग आनंद पूर्वक रहने लगे.


एक दिन गौतम ऋषि के आश्रम में जल को लेकर कुछ अन्य ऋषियों की पत्नीया अहिल्या पर नाराज हो गई जिसके बाद ब्राह्मणों ने गौतम ऋषि का अनिष्ट करने के लिए गणेश जी की आराधना की कुछ दिन बाद ब्राह्मणों की आराधना से प्रसन्न होकर गणेश जी प्रकट हुए और वर मांगने के लिए कहा तब वे लोग बोले भगवान यदि आप हमें वर देना चाहते हैं तो कोई ऐसा उपाय कीजिए जिससे समस्त ऋषि डांट फटकार कर गौतम को आश्रम से बाहर निकाल दें गणेश जी ने कहा पहले उपवास के कारण जब तुम लोगों को दुख भोगना पड़ा था तब महर्षि गौतम ने जल की व्यवस्था करके तुम्हें सुख दिया परंतु इस समय तुम सब लोग उन्हें दुख दे रहे हो संसार में ऐसा कार्य करना कदापि उचित नहीं इस बात पर तुम सब लोग सर्वथा विचार कर लो स्त्रियों की शक्ति से मोहित हुए तुम लोग यदि मेरी बात नहीं मानोगे तो तुम्हारा अहित होगा तुम लोग कोई दूसरा वर मांगो.

Traymbkeshver mahadev mandir


उन ब्राह्मणों ने गणेश जी की बात नहीं मानी तब भक्तों के अधीन होने के कारण गणेश जी बोले तुम लोगों ने जिस वस्तु के लिए प्रार्थना की है मैं उसे अवश्य करूंगा ऐसा कह कर अंतर्धान हो गए और गौतम ऋषि के खेत में जो धान बोया था उसे चरने लगे इसी समय अचानक गौतम ऋषि वहां गए आ गए और भगवान गणेश रूपी गाय को चरता हुआ देख एक तिनका उठाकर उस गाय को भगाने लगे परंतु तिनकों का स्पर्श होते ही वह गाय पृथ्वी पर गिर पड़ी और मर गई इस घटना को कुछ ब्राह्मण उनकी पत्नी छुपकर सब कुछ देख रहे थे कुछ समय पश्चात् ऋषि पर आरोप लगाते हुए कहने लगे यह ये क्या कर डाला और जब गौतम ऋषि की पत्नी वहा आई और पूछा क्या हुआ कैसे हुआ तब गौतम ऋषि ने कहा एसा लगता है कि परमेश्वर मुझ पर कुपित हो गए हैं अब क्या करूं कहां जाऊं गौ हत्या का पाप लग गया है फिर अन्य ऋषियों की पत्नियां बोली अब तुम यहां से चले जाओ जब तक तुम इस आश्रम में सामने रहोगे तब तक अग्नि देव और पितर हमारे दी हुई किसी चीज को ग्रहण नहीं करेंगे इसलिए तुम परिवार सहित यहां चले जाओ ऐसा कहकर उन सब ने गौतम ऋषि और उनकी पत्नी को पत्थरों से मारना आरंभ किया उनके मारने और धमकाने पर गौतम ऋषि बोले मुनियों मैं यहां से अन्यत्र रहूंगा और ऐसा कहकर उस स्थान से तत्काल निकल गए

और कोसों दूर जाकर रहने लगे वह भी जाकर उन ब्राह्मणों ने कहा जब तक तुम्हारे ऊपर गौ हत्या का पाप लगा हुआ है तब तक तुम्हें कोई यज्ञ नहीं करना चाहिए किसी भी वैदिक देव यज्ञ अनुष्ठान का अधिकार नहीं रह गया है तब ऋषि गौतम मुनि शुद्धि के लिए प्रार्थना करने लगे उनकी दिन भाव से प्रार्थना करने पर उन्होंने कहा गौतम तुम अपने पाप को प्रकट करते हुए तीन बार सारी पृथ्वी की परिक्रमा करो इसके बाद 101 ब्रह्मगिरी की परिक्रमा करो इसके पश्चात तुम्हारी शुद्धि होगी अथवा गंगाजी को ला कर उन्हीं के जल से स्नान करो तथा एक करोड़ पार्थिव लिंग बनाकर महादेव जी की आराधना करो फिर गंगा में स्नान करके इस पर्वत की परिक्रमा करो इस प्रकार के गौतम ने बहुत अच्छा कह कर उनकी बात मान ली मैं आप सभी की आज्ञा से यहां पार्थी पूजन तथा ब्रम्हगिरी की परिक्रमा कर लूंगा ऐसा कह कर ऋषि गौतम लिंग निर्माण कर के उनका पूजन किया गौतम ऋषि की आराधना करने पर संतुष्ट हुए भगवान शिव गण के साथ प्रकट हो गए और कहा मैं तुमको देख कर आनंदित हु गौतम ने भक्ति भाव से शिव जी को प्रणाम करके उनकी स्तुति की.


शिव जी बोले हे ऋषि आप सदा ही निष्पाप हो हिंदुओं ने तुम्हारे साथ छल किया उनका कभी उधर नहीं हो सकता भगवान शिव की बातें सुनकर महर्षि गौतम मन ही मन बड़े व्यथित हुए उन्होंने हाथ जोड़ते हुए कहा महेश्वर उन्होंने तो मेरा बहुत बड़ा उपकार किया यदि उन्होंने यह ना किया होता तो मुझे आपका दर्शन कैसे होता धन्य हैं वे महर्षि जिन्होंने यह कार्य किया है उनके ऐसा करने से ही मेरा मन स्वार्थ सिद्ध हुआ है गौतम ऋषि की यह बात सुनकर महेश्वर बड़े प्रसन्न हुए और बोले आप सभी ऋषियों में श्रेष्ठ हो मैं तुम पर बहुत प्रसन्न हुआ हूं तो मुझसे उत्तम वर मांगो गौतम ऋषि बोले देवेश यदि आप प्रसन्न है तो मुझे वर दिजिए कि आप मां गंगा के साथ यहां निवास कीजिए तदनंतर शिवजी ने देवी गंगा से कहा देवी तुम इस धारा को पवित्र करो.


अपने स्वामी परमेश्वर शिव की है बातें सुनकर गंगा मन ही मन प्रसन्न हो गई और शिव जी एवं देवी गंगा वहा निवास करने लगें उसी समय देवता ऋषि वहां पहुंचे उन सब ने बड़े आदर से जय जयकार करते हुए गौतम गंगा शिव का पूजन किया तदनंतर उन सब देवताओं ने मस्तक झुका हाथ जोड़कर उन सब की प्रसन्नता पूर्वक स्तुति की यहां की पत्नियांगंगा गौतमी गोदावरी नाम से विख्यात हुई और भगवान शिव का त्रायमकेश्वर नाम से विख्यात हुए .

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