what is shivling in hindi – shivling meaning – शिवलिंग का क्या अर्थ हैं

Shivling meaning
शिवलिंग क्या है ? – what is shivling in hindi – shivling meaning

आज के जमाने में हमें ऐसा शिवलिंग कहीं नहीं देखने को मिलेगा इसे शिव पुराण के हिसाब द्वारा डिजाइन किया गया है इसे एक विशेश प्रकर् की लकड़ी से बनाया गया है ,  शिव लिंग सृष्टि का प्रतीक है. पृथ्वी के आरंभ काल के दौरान जब भगवान शिव अवतार लेकर धरती पर सृष्टि करने आए थे तो उस कार्य के समाप्त होने के पश्चात कुछ ऋषि उनके पास विनती करते हुए गए और कहा कि शिव से जुड़े कुछ वस्तुओ की जरूरत है जिन्हें वह शिव मान कर पूजा कर सकें इसके उत्तर में Lord Shiva ने कहा था कि मुझे नहीं मेरे कर्म यानी कि मेरे काम की पूजा करो और यह उसी का कांसेप्ट है वर्क इस वरशिप हम सभी को यह गलतफहमी है कि भगवान शिव की शिवलिंग है जबकि उनकी बनाएगा सृष्टि का प्रतिरूप है

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आइए जानते हैं इस शिवलिंग के बारे में शिवलिंग के तीन भाग हैं नंदेया वर्ते शिले कहा जाता है
यह पुरुष भाग कहलाता है इसे सृष्टि -स्थिति और लया कहा जाता है सृष्टि यानी की हमारे चतुर्मुख ब्रह्मा इसलिए चौमुखी है इसके ऊपर स्थिति यानी कि हमारे भगवान विष्णु भगवान विष्णु को अष्टक्षरी कहा जाता है अष्टक्षरी विष्णु कहा जाता है इसलिए ओम नमो नारायणाय यहां भी अष्ट मुखी है, इस्के उपर लया यानी कि हमारे भगवान का कोई सीमा नहीं है अनलिमिटेड कहा जा सकता है सुन्य कहा जा सकता है असिमीत कहा जा सकता है कुछ भी कहा जा सकता है हमारी ब्रह्मा भाग के नीचे नवरत्नों को बिठाया जाता है

what is shivling in hindi - shivling meaning - शिवलिंग का क्या अर्थ हैं
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फिर शास्त्र के हिसाब से ब्रह्मा को नंदेया वर्ते शिले के ऊपर स्थापित किया जाता है फिर आता है हमारे सृष्टि का दूसरा भाग स्त्री भाग के नाम से जाना जाता है और पार्वती भाग को पुरुषों के ऊपर स्थापित किया जाता है शिवलिंग के ऊपर श्री चक्र को बनाया गया है

और ऐसे ही स्त्री और पुरुष के संग द्वारा यह शिवलिंग परिपूर्ण होता है इसे जो भी प्रार्थना करता है उन सभी को सभी वेदों का ज्ञान प्राप्त होता है इसलिए हमारे देवआलय किसी भी विद्यालय से कम नहीं हमारी देवस्थान अभी समझाते हैं कि भगवान हर जगह मौजूद है और वह खुद ही नहीं जानते ऐसी जगह जहां पर वह मौजूद नहीं है ऐसा कहीं भी नहीं कहा गया है कि सिर्फ पुरोहित भगवान का स्पर्श कर सकते हैं सभी भगवान का स्पष्ट कर सकते हैं कि भगवान भेद नहीं समझते, यही आकर है यही विकर है यही शुभ है और यही अशुद्ध है .

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