भगवान शिव ने धरती पर लोगो को 12 जगहों पर खुद अपने भक्तों को दर्शन दिए और वही 12 जगह आज भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों के नाम से जाने जाते हैं. शिव पुराण के अनुसार पहला ज्योतिर्लिंग सोमनाथ का नाम आता है प्रजापति दक्ष ने अपनी 27 कन्याओं का विवाह चंद्रमा से किया था . चंद्रमा को स्वामी के रूप में पाकर सभी कन्या प्रफुल्लित हो गई थी तथा चंद्रमा भी उन्हें पत्नी के रूप में पाकर निरंतर सुशोभित होने लगे उन पत्नियों में जो रोहिणी नाम की पत्नी थी उसे चंद्रमा सबसे अधिक प्रेम करते थे जिससे बाकी पत्नियां दुखी रहने लगी एक दिन बाकी पत्नियां अपने पिता प्रजापति दक्ष के

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पास गई और उन्हें सारी बातें बतायी अपनी पुत्रियों की बातें सुनकर प्रजापति दक्ष दुखी हो गए चंद्रमा के पास जाकर बोले है चन्द्र आप शांति कुल में उत्पन्न हुए हो आप अपने सभी पत्नियों में सब के प्रति भेदभाव क्यों है तुम किसी को अधिक और किसी को कम स्नेह क्यों करते हो अब आगे फिर कभी ऐसा भेदभाव पूर्ण बर्ताव तुम्हें नहीं करना चाहिए क्योंकि ऐसा करना नरक पाने के समान बताया गया है प्रजापति दक्ष चंद्रमा को यह बातें बतलाकर अपने घर को लौट आए उन्हें पूर्ण विश्वास था कि अब चंद्रमा भेदभाव पूर्ण बर्ताव नहीं करेगा लेकिन चंद्रमा ने प्रजापति दक्ष की बात नहीं मानी रोहिणी में इतने खो गए उन्होंने कभी दूसरी पत्नी का कभी आदर नहीं किया इस बात को सुनकर दक्ष दुखी हो फिर चंद्रमा के पास गए और उनसे बोले हे वत्स मैं पहले भी कई बार तुम से प्रार्थना कर चुका हूं फिर भी तुमने मेरी बात नहीं मानी इसलिए आज मैं तुम्हें श्राप देता हूं कि तुम्हें छय रोग शुरू हो जाए इतना कहते ही चंद्रमा क्षण भर में छय रोग से ग्रसित हो गए उनके रोगी होते ही तीनों लोगों में हाहाकार मच गया सभी देवता गण महर्षि परमपिता ब्रह्मा जी के पास गए और उन्हें चंद्रमा के बारे में सारी बातें बताई.
ब्रह्माजी ने कहा जो हुआ सो हुआ उसे पलटा नहीं जा सकता किंतु उसके निवारण के लिए एक उपाय बताता हूं आप सोमनाथ क्षेत्र में जाएं और वहां विधि पूर्वक महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते हुए भगवान शिव की आराधना करें अपने सामने शिवलिंग की स्थापना करें इससे प्रसन्न होकर शिव जी उन्हें छह रहित कर देंगे तब देवताओं के कहने से चंद्रमा ने 6 महीने तक भक्ति भाव से शिव कि आराधना की भक्तवत्सल भगवान शिव प्रसन्न होकर उनके सामने प्रकट हुए और चंद्रमा से बोले तुम्हारा कल्याण हो शिव के मुख से ऐसी बातें सुनकर उन्हें प्रणाम करते हुए कहा हे देवेश्वर यदि आप मुझसे प्रसन्न है तो आप मेरे शरीर से रोगों का निवारण कीजिए मुझसे जो भी अपराध हुआ है उसे क्षमा कीजिए तब भगवान शिव ने वरदान दिया कि एक पछ में प्रतिदिन सुंदरता घटती और दूसरे पक्ष में फिर वह निरंतर बढ़ती रहे भगवान शिव की स्तुति की स्तुति से प्रसन्न होकर भगवान शिव साकार रूप में प्रकट हुए अर्थात लिंग के रूप में प्रकट हो सोमेश्वर कहलाए और सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के नाम से तीनों लोकों में विख्यात हुए ऐसा माना जाता है कि जो कोई भी मनुष्य सोमनाथ जाकर इस ज्योतिर्लिंग का भक्ति भाव से पूजा करता हैउसे छाय आदि रोगों से मुक्त हो जाता है.
मल्लिका अर्जुन शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव का दूसरा ज्योतिर्लिंग है है शिव पुराण में वर्णित कथा के अनुसार भगवान शिव और माता पार्वती के मन में यह विचार आया कि उन्हें अपने दोनों पुत्रों का विवाह कर देना चाहिए अतः अपने दोनो पुत्रो को अपने पास बुलाया और उनसे बोले तुम दोनों में से जो भी संपूर्ण संसार का परिक्रमा लगाकर आएगा उसका पहले विवाह किया जाएगा के कार्तिकेय अपनी सवारी मोर पर सवार हो परिक्रमा के लिए निकले गए चूकी गणेश जी को सवारी मूषक है वह पछी की अपेछा धीमी गति से चलता है उन्होंने बुद्धि लगाई और अपने माता पार्वती और पिता शिव के चारों ओर एक चक्कर लगा लिया यह देख गणेश से माता पार्वती ने पूछा कि वत्स यह तुमने क्या किया तो गणेश जी ने दोनों हाथ जोड़ते हुए कहा माते मेरे लिए तो मेरे माता-पिता ही संसार है इसलिए मैंने आप दोनों का चक्कर लगा लिया यह सुन माता पार्वती और भगवान शिव बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने गणेश जी का विवाह विश्वरूपम की दोनों बेटियों रिद्धि और सिद्धि से करवा दिया उधर जब कार्तिकेय भ्रमण कर वापस आए तो गणेश जी के विवाह के बारे में पता चला जिससे उन्हें बहुत बुरा लगा और उन्होंने निर्णय किया कि वह कभी विवाह नहीं करेंगे और फिर पर्वत पर चले गए
माता पार्वती और भगवान शिव के वहां जाकर अनुरोध करने पर भी वह नहीं लौटे और वहां से भी चले गए तब से शिव और माता पार्वती ज्योति रूप धारण कर वहीं प्रतिष्ठित हो गए. माना जाता है कि अमावस्या के दिन भगवान शिव और पूर्णिमा के दिन माता पार्वती अपने पुत्र से मिलने आते हैं वर्तमान में आंध्र प्रदेश में स्थित है .