savan somwar vrat ka mahatv
शिव जी को प्रिय है सावन, पुराणो के अनुसार सावन मे शिवजी धरती पर आते है सावन मे सृष्टि सभी पर अपनी क्रपा बरसाती है और ये महिना सभी जीवो के लिये कल्याणकारी माना गया है.“सोमवार का दिवस शिव जी का दिन कहलाता है” इसीलिये सावन के सोमवार मे शिव जी की आराधना करने से शिव जी प्रसन्न होते है तथा भक्त पर lord shiva की विशेश क्रपा होती है. सावन के सोमवार मे शिव जी की विधि विधान से पूजा करने से सभी प्रकार के कश्टो से मुक्ति मिलती है तथा वैवाहिक जीवन खुशहाल रहता है. स्त्रिया अच्छे वर की प्राप्ति के लिये और खुशहाल जीवन के लिये शिव की उपासना करती है एवम पुरुश अच्छी पत्नि प्राप्ति के लिये शिव की उपासना करते है. शिव जी को भक्त कई नामो से पुकारते है जैसे भोले बाबा,शंकर, डमरु वाले बाबा, नीलकण्ठधारी , त्रिनेत्र धारी, एवम देवो के देव महादेव इत्यादि. शिव आदि है शिव शून्य है शिव अनंत है.
शिव जी को सावन अधिक प्रिय क्यो है ?
नारद पुराण के अनुसार सावन महीने मे ही शिव जी ने समुद्र मंथन के समय उत्पन्न हुये हलाहल (विश) को अपने कण्ठ पर धारण कर सम्पुर्ण सृष्टि की रक्षा कि थी तथा मा पार्वती ने शिव जी को पाने के लिये सावन के महिने मे ही सम्पुर्ण विधि विधान से शिव जी की पुजा की थी.
सोमवार का व्रत कितने प्रकार का होता है?
सोमवार का व्रत विशेश रुप से तीन प्रकार का होता है.
1) प्रति सोमवार
2) सोलह सोमवार
3) सावन सोमवार
सोलह सोमवार की व्रत कथा – solah somvaar vrat katha:-
एक बार कुछ ऋषियों का समुह शिव की भक्ति हेतू एकांत स्थान के लिये पर्वत पर जा रहा होता है तभी एक राजकुमारी अपने रुप यौवन के घमंड मे सोलह श्रृंगार करके उनका मार्ग बाधित करती है और अपने सौंदरय का प्रदर्शन कर उनके पवित्र मन की शांति को भंग करने का प्रयाश करती है. किंतु ऋषि गण अपने आत्म बल के द्वारा स्त्री के विचारो को भाप लेते है और उसकी उदंड्ता के लिये उसे श्राप देते है की तेरा रुप यौवन कुरुप हो जाये और तु सभी की हिन भावना का शिकार हो जाये. राजकुमारी अपनी भुल के लिये ऋषियों से छमा मांगती है तब ऋषि कहते है तु काशी मे जा कर बश जा और चुंकि तुने अपने सोलह श्रृंगार का दुरुपयोग किया है इशीलिये तुम सोलह सोमवार तक शिव जी की विधि विधान से व्रत रख कर पुजा करना इसके पश्चात शिव जी की क्रपा से तुम श्राप मुक्त हो जाओगी और पुन: अपना सौंदरय रुप प्राप्त कर लोगी . राजकुमारी अपना कुरुप शरीर लेकर काशी मे जाती है और शिव जी की विधि विधान से व्रत रख कर सोलह सोमवार तक पुजा करती है और भगवान भोले को प्रसन्न करती है तथा शिव जी क्रपा से पुन: सौंदरय रुप प्राप्त करती है.
सावन सोमवार की व्रत कथा – sawan somwar vrat katha:
अमरपुर नामक स्थान पर एक धनि व्यापारि का परिवार रहता था. जिसने व्यापार मे बहुत बुलंदी हासील कर ली थी तथा उसे किसी भी प्रकार की कोइ धन की कमी नही थी. लेकिन वो हमेशा दुखी रहता था क्योकि उसकी कोइ संतान नही थी. व्यापारि बहुत बडा शिव भक्त था वो प्रतिदिन शिव को प्रात: कालीन स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण कर शिव जी को जल अर्पित करता था और विधि विधान से पूजा करता था. एक दिन शिव जी व्यापारि के स्वप्न मे आये और कहा सावन के सोमवार मे प्रारम्भ कर सोलह सोमवार तक मेरी भक्ति करो तुम को एक पुत्र की प्राप्ति होगी लेकिन वो सोलह वर्ष की आयु तक ही जीवित रहेगा. स्वपन की बात उसने अपनी धर्म पत्नि को बताया दोनो पुत्र प्राप्ति के लिये बहुत खुश हुये लेकिन चुकि उनका पुत्र केवल सोलह वर्ष तक जीवित रहेगा जान कर दुखी भी हुये. व्यापारि ने सोलह सोमवार तक शिव जी की विधि विधान से व्रत रख कर पुजा की जिसके फलस्वरुप व्यापारि दम्पति को पुत्र की प्राप्ति हुयी.
जब पुत्र लगभग 12 वर्ष का हुआ तो व्यापारि ने अपने पुत्र को उसके मामा के साथ मामा के घर भेज दिया. रास्ते मे एक नगर आया जहा पर किसी राजकुमारी के विवाह कि तैयारी चल रही थी जिस राजकुमार से राजकुमारी का विवाह तय था वह राजकुमार वास्तव मे काडा था “जिसकी जानकारी राजकुमारी से छुपायी हुयी थी . भेद कही खुल ना जाये इशीलिये राजकुमार ने अपने स्थान पर लड्के को रख कर राजकुमारी से विवाह करा दिया लेकिन चुकि लड्का सच नही छुपाना चाह्ता था इशीलिये उसने विवाह उपरांत राजकुमारी को सारा भेद बता दिया और राजकुमारी को छोड कर अपने मामा के साथ चल दिया . सोलह वर्ष पुर्ण होते ही एक दिन लड्के की अचानक म्रत्यु हो जाती है जिससे मामा एवम मामी बहुत विलाप करने लगते है. उधर व्यापारि दम्पति भी शोक मे डुब जाता है चुकि उसे पहले से ही पता था की सोलह वर्ष बाद उसका पुत्र मर जायेगा. व्यापारि शिव जी का परम भक्त था ये जानते हुये भी कि सोलह वर्ष के बाद उसका पुत्र मर जायेगा उसने कभी भी शिव भक्ति नही छोडी इसी बात से मा पार्वती प्रसन्न हो कर शिव जी से आग्रह करती है कि हे प्रभु व्यापारि दम्पति आपका अनन्य भक्त है अत: आप उसके कश्टो को हर लिजिये और उसके पुत्र को पुन: जीवित कर उसे लौटा दीजिये.
शिव जी की क्रपा से लड्का पुन: जीवित हो जाता है और घर लौट्ते हुये राजकुमारी को साथ लेकर माता पिता के पास पहुचता है व्यापारि दम्पति पुत्र को जीवित देख कर खुश होते है और साथ मे पुत्र वधु पा कर अपने को धन्य समझते है.
शिव जी की विधि विधान से पुजा कैसे करे? – shivling puja importance in hindi
सर्व प्रथम प्रात: उठकर नित्यकर्म से निव्रत हो कर स्नान करना चाहिये तथा स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिये. Lord Ganesha की पुजा करनी चाहिये इसके पश्चात एक थाली मे सफेद अथवा नीले पुश्प रख कर गंगा जल भर कर एक लोटे मे रखना चाहिये. थाली मे बिलव पत्र , भांग,कच्चा दूध, दूध से बनी हुयी मिठाईया,शहद, पान का पत्ता , अछत , रोली, सिंदुर, कुमकुम, धतुरा, दहि, इत्यादि रखना चाहिये.
सबसे पहले शिव जी को जल स्नान कराये इसके पश्चात दुध से फिर दहि से फिर शहद से फिर यदि भसम हो तो भसम से स्नान कराये बीच – बीच मे जल स्नान जरुर कराये इसके पशचात शिव को पुश्प एवम विलव पत्र अर्पित करे धतुरा या भांग हो तो वो भी चढ़ाये. पान का पत्र अर्पित करे, दीप जलाये, उनको दुध की बनी हुयी मिठाई का भोग लगाये फिर उनका अभिशेक करे और मा पार्वती एवम शिव कि आरती करे तथा शिव व्रत धरण कर उनकी कथा सुने एवम सुनाये. संधया कालीन मे शुद शाकाहारी भोजन कर व्रत खोले.
क्या नही करना चाहिये?
किसी पर क्रोध ना करे, ईर्शया द्वेश भी किसी से ना करे, काले वस्त्र ना धरण करे ना ही लाल पुश्प शिव जी को अर्पित करे. किसी के साथ छ्ल कपट ना करे, झूठ ना बोले, किसी का मन नही दुखाये. गरम दुध शिव जी को कभी भी ना अर्पित करे. रोली,सिंदुर को शिव पर ना चढ़ाये इनहे शिव जी के स्त्री भाग पर चढ़ाये,बुजुर्गो का अनादर नही करना चाहिये .