Saptrishimandal – सप्तऋषि मंडल

Saptarishi mandal

Saptrishimandal

Saptrishimandal

इस चित्र को गौर से देखिए प्रश्नचिन्ह बने इस आकृति में हमे बिंदु नजर आते हैं इन 7 बिंदु को सात नक्षत्र माना जाता है इन्हें सप्त ऋषि मंडल के नाम से जाना जाता है यह सात नक्षत्र सप्त ऋषियों को दर्शाते हैं इस प्रश्न चिह्न की अंतिम भाग से शुरूआत करते हैं यहां से पहले बिंदु को मरीचि ऋषि के नाम से जानते हैं. उसके बाद में जो बिंदु है वह कहलाते हैं ऋषि वशिष्ठ, ऋषि वशिष्ठा की बाई ओर आपको एक छोटा बिंदु नजर आएगा यह बिंदु ही है अरुंधति ,ऋषि वशिष्ठ के बाद आते है ऋषि अंगिरा, फिर आते है ऋषि अत्री, फिर दाई और की तरफ मुड़ते हुए जो बिंदु आता है वह है ऋषि पुलस्त्य उसके बाद आते है ऋषि पुलाहा और फिर ऋषि कृतु, ऋषि पुलाहा और कृतु के अंतर को 5 गुना मिलाकर नीचे की तरफ आएंगे तो वहां बसे हैं ध्रुवा नक्षत्र, सदा उत्तर में रहने की वजह से उसे ध्रुव नक्षत्र कहा जाता है इंग्लिश में हम इसे नॉर्थ स्टार के नाम से जानते हैं. बाल्यावस्था के ध्रुव Nachhatra अगर उत्तर में बसे हैं तो वृद्धावस्था के अगस्त्य  नक्षत्र दक्षिण में बसे हैं. अगस्त्य और ध्रुव नक्षत्र हमेशा उसी स्थान पर ही पाए जाते हैं. इन दोनों के बीच में मौजूद आकाशगंगा शतत घूमती रहती है. इस कारण से हमारी धरती अछ के ऊपर घूम कर घूमती रहती हैं. यह सच है कि सारा जगत भगवान के इर्द-गिर्द घूमता रहता है.

लेकिन वह हमें कभी नजर नहीं आ सकता भूमि के अनेक कालो में से उसे चार काल में छाटते हैं ऊपर नजर आ रहा पीठ के बल सोया हुआ प्रश्न चिह्न के आकार में बना हुआ सप्त ऋषि मंडल हमें वसंत ऋतु में ठीक ऐसे ही नजर आता है. आगे बढ़ते हुए शिशिर ऋतु यानी ठंड के मौसम में हमें Saptrishimandal  ऐसे नजर आता है. फिर शरद ऋतु में जब सारे पत्ते झड़ने लगते हैं तब सप्त ऋषि मंडल हमें ऐसे पीठ के बल सोया हुआ प्रश्नचिन्ह के आकार में नजर आता है और फिर ग्रीष्म ऋतु यानी गर्मी के मौसम में हमें सप्त ऋषि मंडल ऐसे सिरसासन कर रहे प्रश्न चिह्न के आकृति में नजर आता है. चाहे जो भी हो जब हम यह सारी प्रश्न चिन्हों को एक साथ में देखते हैं हमारे सामने एक विशेष आकृति हमें बनता हुआ नजर आता है.
वही कहलाता है हमारा Swastik
स्वस्तिक का मतलब है आरोग्य वान (Aarogyawan)

ध्रुव नक्षत्र को धयान से देखने पर हमे मलुम पड्ता है कि हम पूरी जिंदगी जिस दिशा की ओर बह्ते  जा रहे हैं वही है उत्तर दिशा इसीलिए शायद हमारी भूमि पर भी दक्षिण में अधिक जल है और उत्तर की ओर अधिक जमीन है.

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