Rameshwaram jyotirlinga story – रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग धाम
रामेश्वर ज्योतिर्लिंग जब रावण सीता जी को हरण कर ले गया तब सुग्रीव और श्री राम वानरों के साथ सागर के किनारे चिंतित हो सागर पार करने हेतू विचार करने लगे हम समुद्र को कैसे पार करेंगे और किस प्रकार लंका को जीतेंगे उतने में ही श्री राम को प्यास लगी उन्होंने पीने हेतू जल मगाया श्रीराम ने प्रसन्न होकर जैसे ही जल लिया उन्हें स्मरण हो आया मैंने अपनी स्वामी भगवान शंकर का दर्शन किया ही नहीं ऐसा कह कर उन्होंने ऋषि पुरोहित को बुलवाया और विधि पूर्वक शिवजी की भक्ति भाव से प्रार्थना की.

श्री राम जी ने तत्पश्चात भगवान शिव को नमन किया और उनके समक्ष कीर्तन इत्यादि किया जिससे भगवान शंकर बहुत प्रसन्न हुए और महेश्वर शिव देवी पार्वती तथा पार्षद गणों के साथ तत्काल वहां प्रकट हो गए गये श्री राम की भक्ति से संतुष्ट होकर महेश्वर ने कहा श्री राम वर मांगो. धर्म परायण श्री राम जी ने स्वयं उनका पूजन किया फिर भांति ही भांति की स्तुति की एवं प्रणाम करके उन्होंने भगवान शिव से लंका पर रावण के साथ होने वाले युद्ध में विजय की प्रार्थना की. शिव जी ने कहा श्री राम आप की जय हो भगवान शिव के दिए हुए विजय सूचक वर एवं युद्ध की आज्ञा को पाकर श्रीराम ने नतमस्तक हो हाथ जोड़कर प्रार्थना की श्री राम बोले मेरे स्वामी शंकर यदि आप संतुष्ट हैं तो जगत के लोगों को पवित्र करने तथा दूसरों की भलाई करने के लिए सदा यहां निवास करें श्रीराम के ऐसा कहने पर भगवान शिव के रूप में स्थित हो गए तीनों लोकों में रामेश्वर नाम से प्रसिद्ध हुए उनके प्रभाव से ही अपार समुद्र को पार करके श्री राम ने रावण आदि राक्षसों का संहार किया और अपनी प्रिय सीता प्राप्त कर लिया.
इस भूतल पर रामेश्वर की अद्भुत महिमा का प्रसार हुआ भगवान रामेश्वर राम ईश्वर सदा भोग और मोक्ष देने वाले तथा भक्तों की इच्छा पूर्ण करने वाले हैं जो दिव्य गंगाजल से रामेश्वर शिव को भक्ति पूर्वक प्रार्थना कराता है वह इस संसार में उत्तम में उत्तम ज्ञान पाकर वह निश्चय ही मोक्ष को प्राप्त कर लेता है.