What is Holi and why is it celebrated ?
हिंदू कैलेंडर के अनुसार होली फाल्गुन पूर्णिमा में मार्च के महीने में आती है जब गर्मी के मौसम की शुरुवात और सर्दी के मौसम का अंत होता है यानी कि एक नई शुरुआत होती है यही वजह है कि होली को होला शब्द से जोड़कर यह कह दिया गया कि होली शब्द का अर्थ एक नई शुरुआत होता है लेकिन यह सिर्फ मान्यता ही है असल में एक होला स्पेनिश वर्ड है जिससे वहां के लोग नमस्कार या फिर हेलो के तौर पर किसी को विश करने के लिए इस्तेमाल करते हैं. होली शब्द का आरंभिक शब्द होलाक था क्योंकि होला का बोलने में काफी कठिन था इसीलिए धीरे धीरे होला का शब्द रूप लेकर होली कहलाने लगा लेकिन यह भी बता दें कि अलग-अलग पुराणों में होली के लिए अलग-अलग शब्दों का इस्तेमाल किया गया है.

पुराणों के अनुसार होली की कथाएं क्या क्या है
शिव पुराण के अनुसार हिमालय की पुत्री पार्वती भगवान शिव से विवाह करना चाहती थी लेकिन शंकर जी तपस्या में लीन थे तब इंद्रदेव ने कामदेव को पार्वती की मदद के लिए शिव के पास भेजा और उनसे कहा कि वह शिव पर प्रेम बाण छोड़े और उनकी तपस्या भंग करे , कामदेव ने ऐसा ही किया जिससे भगवान शिव की तपस्या पूरी तरीके से भंग हो गई भगवान शिव की तपस्या भंग होने से शिव को बेहद क्रोध आ गया और क्रोध में उन्होंने तीसरा नेत्र खोल दिया जिससे भगवान शिव की क्रोधाग्नि में कामदेव को जलना पड़ा शिव जी की तपस्या भंग हो ही गई थी इसीलिए सभी देवताओं ने पार्वती से विवाह करने को कहा और शिव ने पार्वती की आराधना को सफल करते हुए उन्हें अपनी पत्नी बना लिया कई लोग इस कथा को मानते हुए होली त्यौहार का मूल मकसद वासना युक्त आकर्षण पर सच्चे प्रेम की जीत का रूप मानते हैं.
सतयुग में राजा रघु के राज्य में डुंडी नाम की एक राक्षसी थी. राक्षसी ने घोर तपस्या की और उसने वर मांगा कि है इश्वर मुझे देवता मनुष्य कोई ना मार सके के अस्त्र अस्त्र- भी मेरा वध ना कर सके मुझे ना रात का भय हो ना मुझे दिन का हो ना मुझे वर्षा ना ही गर्मी का भय हो शिव ने उस राक्षस को वरदान देते हुए तथास्तु कह दिया लेकिन साथ ही साथ चेतावनी भी दी कि तुम्हें बालको से भय होगा इस कहानी को लेकर माना जाता है कि जब राक्षसी ने चारों तरफ हाहाकार मचा दिया था तब गांव के बालकों ने अपनी शरारत से राक्षसी को भयभीत कर दिया था बालक ने अपनी एकता के बल पर ढूंढी को गांव से बाहर भगा दिया था कहते हैं कि इसी वजह से होली का त्योहार बच्चों को समर्पित किया जाता है होली की एक कथा के रूप में राधा कृष्ण के प्रेम का गुणगान भी किया जाता है.
कहते है कि कृष्ण हमेशा अपनी मां यशोदा से शिकायत करते थे कि मैं काला हूं लेकिन राधा का रंग गोरा है जिस पर एक दिन यशोदा ने कृष्ण से कहा कि वो राधा के मुख पर वही रंग लगा दे जो उन्हें पसंद हो नटखट कृष्ण ने यही कार्य किया और राधा व अन्य गोपियों को रंग डाला कहते हैं कि यह प्रेम मई शरारत शीघ्र ही लोगों में प्रचलित हो गई और इसे होली के परंपरा के रूप में मनाया जाने लगा कहते हैं कि इसी इसीलिए मथुरा की होली का विशेष महत्व है .
एक अन्य कथा हिरण कश्यप से जुड़ी हुई है इस कथा के अनुसार हिरण कश्यप ने अपनी बहन होलिका को प्रह्लाद जो कि उन्हीं का ही बेटा था उसे लेकर अग्नि में बैठने को कहा हिरण कश्यप यह मानते थे कि कोई भगवान है तो वह सिर्फ वह स्वयं है लेकिन प्रहलाद भगवान विष्णु की भक्ति करते थे
इसीलिए पिता हिरण कश्यप ने अपने पुत्र की मृत्यु की इच्छा से उन्होंने होलिका से कहा कि वह प्रहलाद को लेकर अग्नि में बैठ जाए क्योंकि होलिका को यह वरदान था कि अग्नि कभी भी उसका कुछ नहीं बिगाड़ पाएगी इसलिए होलिका ने भी खुशी-खुशी अपने भाई की बात मान ली लेकिन नतीजा इसका विपरीत हुआ प्रहलाद का कोई बाल भी बांका ना कर सका तो होलीका उस अग्नि में जलकर राख हो गई इसीलिए होली खेलने वाले होलीका दहन भी किया करते है.