Dharma meaning – धर्म का अर्थ

Dharam-meaning
धर्म क्या है ? – Dharma meaning

धर्म का अर्थ जाति सम्प्रदाय से नहीं होता बल्कि उदारता , सदाचरण एवं सदव्यव्हारी होना ही मानव धर्म का एक प्रमुख अंग हैं, Dharma दायित्व और कर्त्तव्य का बोध कराता है. धर्म में कभी भी प्रतिद्वंदिता एवं ईर्ष्या का कोई स्थान नहीं होता है. धर्म व्यक्तिगत होता हैं इसे कोई दूसरा नहीं बनाता है और नहीं कोई इसे दूसरो को मानने के लिए विवश करता है. मनुष्य कि अंतरात्मा जो कहती और जिस पर व्यक्ति स्वयं अमल करता है वही उस व्यक्ति का धर्म बन (कहलाता) जाता है.

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आइये Dharma को उदहारण के जरिये समझते है. 

मान लिजिये किसी गाव में कोई डाकू लडकियों का बल पूर्वक अपहरण करता है या उसका बलात्कार करने कि कोशिश करता है. ठीक उसी समय किसी व्यक्ति का बुजुर्ग पिता मृत्यु के निकट खडा हो और अपने बेटे से अपनी प्यास बुझाने के लिए जल माँग रहा हो तो ऐसे समय पर उस व्यक्ति का धर्म क्या होगा ? क्या वो एक साहसी व्यक्ति के भाति गाव के लडकियों कि ईज्जत बचाएगा या अपने पिता के पास रहकर उनकी सेवा करेगा ऐसी परिस्थिति को धर्म का दो राहा या धर्म संकट कहते है. ऐसी परिस्थिति में जो भी उस व्यक्ति कि अंतरात्मा उसे कहेगी जिस पर वह स्वयं निर्णय कर अपने कर्तव्य का सही पालन करते हुए अपने दायित्व को निभाएगा वही उस व्यक्ति का धर्म कहलायेगा .


एक दुसरे उदाहरण के अनुसार धर्म को और समझते है.: 

पुराने समय कि बात है कोई सिद्ध ऋषि अपनी धैर्य और अपनी उदारता के लिए बहुत प्रशिद थे . एक दिन जब सुबह वो किसी नदी के तट पर स्नान कर रहे थे अचानक उन्होंने देखा कि कोई एक बिच्छू नदी के तेज धारा में बहते जा रहा था उन्होंने अपने धर्म का पालन करते हुए उसे बचाने का प्रयास किया. जैसे ही उन्होंने अपने हाथो से उसे पकड़ कर किनारे करना चाह उस बिच्छू ने उन्हें तेज डंक मार दिया , वो पीड़ा से कराह उठे , फिर उन्होंने उस बिच्छू को बचाने का पुनः प्रयास किया लेकिन फिर उस बिच्छू ने उन्हें डंक मर दिया ऐसा ही कई बार हुआ अंततः ऋषि उसे बचाने के प्रयास में सफल हो जाते है. उनका एक शिष्य उनसे पूछते हुए कहता है कि जब ये बिच्छू आपको डंक मार रहा था तो आप उसे धारा में बहने देते तब ऋषि कहते है बिच्छू का धर्म डंक मारना हैं और मेरा धर्म उदारता एवं सहनशीलता है अगर बिच्छू अपना धर्म नहीं छोड़ रहा था तो मै अपने धर्म को कैसे छोड़ देता . कहानी से हमें सिख ये मिलती हैं कि अपने धर्म का पालन करने कि लिए उदारवान के साथ- साथ सहनशील भी होना चाहिए.

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