Why do we celebrate mahashivratri – महाशिवरात्रि क्यों मनाते हैं

Mahashivratri

Why do we celebrate mahashivratri

शिवरात्रि आदि देव भगवान शिव और मां शक्ति के मिलन का महापर्व है हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाने वाला यह महापर्व शिव भक्तों को समृद्धि संतान व आरोग्य प्रदान करने वाला है हिंदू धर्म में सारे देवी देवताओं में भगवान शिव शंकर सबसे लोकप्रिय हैं.

Why do we celebrate mahashivratri - महाशिवरात्रि क्यों मनाते हैं

यह देवों के देव महादेव हैं भगवान शिव बहुत ही सरल स्वभाव के देवता माने गए हैं इसीलिए इन्हें भोले भंडारी के नाम से भी जाना जाता है अतः इन्हें सरल तरीकों से भी शीघ्र प्रसन्न किया जा सकता है वैसे तो इस महापर्व के बारे में कई पौराणिक कथाएं मान्य है परंतु हिंदू ग्रंथ शिवपुराण की विधि संहिता के अनुसार इसी पावन तिथि की महानिशा में भगवान शिव का विराट स्वरूप प्रतीक शिवलिंग का पूजन सर्वप्रथम ब्रह्मा और भगवान विष्णु के द्वारा हुआ जिस कारण इस तिथि को शिवरात्रि के नाम से जाना जाता है महाशिवरात्रि का व्रत शिव भक्तों के लिए बहुत ही कल्याणकारी और मनोवांछित फल देने वाला है ेेइस दिन उपवास का विशेष महत्व है पौराणिक मान्यता के अनुसार इसी दिन भोलेनाथ की शादी मां पार्वती के संग हुई थी जिस कारण शिव भक्तों द्वारा रात्रि के समय भगवान शिव की बारात निकाली जाती है और शिव भक्त इस दिन रात्रि जागरण भी करते हैं.

महाशिव रात्रि व्रत महिलाओं के लिए विशेष लाभकारी है कुंवारी लड़कियां इस दिन शिव को प्रसन्न करके मनचाहा वर की प्राप्ति भी कर सकती हैं और शादीशुदा महिलाएं व्रत करके इसे अपने पति की लंबी आयु का वरदान प्राप्त कर सकती हैं और उनकी सफलता की कामना भी करती हैं और जिन महिलाओं को संतान की प्राप्ति नहीं हुई है वह भी इस दिन शिव जी से संतान सुख का आशीर्वाद प्राप्त कर सकती हैं.

महाशिवरात्रि की पूजा विधि के बारे में जो इस प्रकार है

इस दिन सुबह निवृत्त होकर मंदिर जाकर शिवलिंग पर जल का या पंचामृत अभिषेक करना चाहिए आप दूध दही घी शहद शक्कर और गंगाजल का इस्तेमाल करें इसके बाद सफेद चंदन का तिलक लगाएं सफेद फूल माला चढ़ाएं शिवलिंग पर बेलपत्र धतूरा का फूल चढ़ाएं इसका विशेष महत्व होता है ओम नमः शिवाय मंत्र का कम से कम 108 बार जाप अवश्य करें इसके बाद धूप दीप जलाकर शिवजी की आरती करते हुए विधिवत रूप से पूजा को संपन्न करें और इस दिन पूरा दिन उपवास जरूर करें.

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